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शहडोल संभाग से भी कई नेताओं के नाम चर्चा में

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अब निगम मंडल-आयोग के लिए तेज हुई भागदौड़

राहुल मिश्रा
शहडोल
संगठन में प्रदेश स्तर पर हुए बदलाव के बाद अब निगम मंडल, आयोग एवं प्राधिकरणों में नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। नियुक्ति का रास्ता खुलते ही इनमें स्थान पाने के लिए विंध्य के नेताओं ने भी हाथ-पांव मारने शुरू कर दिए हैं। पीछे के रास्ते सत्ता सुख पाने को आतुर नेता अपने अपने जोर जुगाड़ के जरिए
संगठन के नए मुखिया व सीएम के पास तक अपनी-अपनी दावेदारी पहुंचाने की जुगत में हैं। अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं व नेताओं को उपकृत करने वाली नियुक्तियां पार्टी का प्रदेश नेतृत्व कब तक करेगा यह तो अभी तय नहीं है लेकिन इन नियुक्तियों की आहट पाते ही दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं।
विंध्य के नेताओं को पर्दे के पीछे से सत्तारूढ़ होने का मौका हमेशा ही मिला है। शहडोल संभाग के नेताओं को पार्टी कभी निगम मंडल में तो कभी आयोग या फिर प्राधिकरण में जगह देकर उनकी निष्ठा और समर्पण का सम्मान करती रही है। पिछले कार्यकाल में भी मात्र एक नेता उपकृत थे, जिसमें रामलाल को कोल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया था ऐसे में माना जा रहा है कि जब आने वाले समय में नियुक्तियां होंगी तो संभाग के अंतर्गत तीन जिले को पर्याप्त महत्व मिलेगा यहां के पार्टी नेताओं को इस बात का भरोसा है, वैसे संभाग ने भी पिछले कुछ चुनावों से भाजपा को दिल खोलकर अपना समर्थन दिया है। ऐसे में यदि पार्टी शहडोल संभाग नेताओं को संगठन व सत्ता में महत्व देती है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

उमरिया में मिथिलेश व ज्ञानवती का दावा

शहडोल संभाग के उमरिया जिले से किसी नेता को निगम, आयोग व किसी प्राधिकरण में स्थान देने की बात आती है तो यहां से दो नाम प्रमुखता से उभर कर सामने आ रहे है। एक नाम भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष मध्य प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मिथिलेश मिश्रा का है तो दूसरा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आदिवासी नेत्री सुश्री ज्ञानवती सिंह का। प्रदेश के डिप्टी सीएम व विध्य के सर्वमान्य नेता राजेन्द्र शुक्ल के करीबी मिथिलेश की संभावनाएं इसलिए भी ज्यादा मानी जा रही हैं कि उन्हें निगम मंडल में अर्जेस्ट कर उमरिया में कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय सिंह के वर्चस्व को तोड़ने का प्रयास किया जा सकता है, मिथिलेश में विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था वह जिला पंचायत के सदस्य भी रह चुके हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं जबकि ज्ञानवती सिंह को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थक होने का का लाभ मिल सकता है।
शहडोल से हर्षवर्धन और प्रमिला की चर्चा
शहडोल जिले से पहला नाम पार्टी से हर्षवर्धन सिंह की भी चर्चा निगम या प्राधिकरण के लिए सुनाई पड़ रही है। वे भाजपा के जिला अध्यक्ष रह और जिला पंचायत शहडोल के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।यदि शहडोल से प्राधिकरण निगम या मंडल में पद पाने के संभावित दावेदारों की बात की जाए तो पूर्व विधायक प्रमिला सिंह के नाम की चर्चाएं जोरो पर हैं। वे लोकसभा चुनाव में पार्टी की प्रबल दावेदार रही हैं लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया मैं पार्टी की आदिवासी नेत्री भी मानी जाती है। इनके अलावा विभाजित शहडोल से जिले के महामंत्री रह चुके वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश तिवारी का नाम चर्चाओं में है।
अनूपपुर से यह दावेदार
मध्य प्रदेश के अंतिम छोर में स्थित अनूपपुर जिले से भी निगम मंडल प्राधिकरण एवं आयोग के लिए भाजपा के नेताओं के नाम की चर्चा हो रही है जिसमें पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रूपमती सिंह के नाम की चर्चा भी है और इनके अलावा पार्टी में दो बार जिला अध्यक्ष रह चुके रामदास पुरी भी रेस में माने जाते हैं वह विंध्य विकास प्राधिकरण के सदस्य रह चुके हैं और अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र में विधायक प्रत्याशी के लिए प्रबल दावेदार रहे लेकिन पार्टी ने अभी तक मौका नहीं दिया। इनके अलावा अविभाजित शहडोल के जिला अध्यक्ष एवं अनूपपुर जिले के गठन के बाद अनूपपुर जिले के भाजपा के जिला अध्यक्ष रह चुके शहडोल संभाग के वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल गुप्ता का नाम भी चर्चाओं में है यह भी कोतमा विधानसभा क्षेत्र से प्रबल दावेदार रहे लेकिन टिकट पाने में असफल रहे विंध्य विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रह चुके हैं और नगर परिषद जैतहरी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इनके अलावा पार्टी के दो बार जिला अध्यक्ष रह चुके बृजेश गौतम जो कि वर्तमान में प्रदेश कार्य समिति के सदस्य भी हैं उनका नाम भी चर्चाओं में है। मंडल एवं प्राधिकरण की बात करें तो एक और नाम तेजी से उभर कर आ रहा है और वह नाम है लवकुश शुक्ला का, शुक्ला पार्टी के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष वर्तमान में हैं उन्हें कोतमा विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में प्रबल प्रत्याशी माना जा रहा था लेकिन अंतिम समय में उनकी टिकट कट गई थी। अब देखना यह है कि प्रदेश संगठन द्वारा शहडोल संभाग को कितना महत्व दिया जाता है।

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