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कोरोना काल की सबसे बड़ी लूट: जैतहरी में ₹32 लाख का घोटाला, नवरत्नी शुक्ला को नोटिस, जनता मांग रही CBI जांच

अनूपपुर
जैतहरी: मध्यप्रदेश के शहडोल संभाग का छोटा सा कस्बा जैतहरी, जहां की आबादी सिर्फ 8,396 है, आज एक बड़े घोटाले की वजह से सुर्खियों में है। कोरोना काल में ₹31.85 लाख की संदिग्ध खरीदी के इस मामले ने स्थानीय जनता को गुस्से से भर दिया है। मध्यप्रदेश शासन के नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने जैतहरी नगर परिषद की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती नवरत्नी विजय शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा है। लोग इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, और सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतने छोटे कस्बे में इतना बड़ा खेल कैसे हो गया?

कोरोना काल में लूट का बाजार

साल 2020 में, जब पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था, लोग मास्क, सैनिटाइजर और ऑक्सीजन के लिए तरस रहे थे। ऐसे संकट के समय में, जैतहरी नगर परिषद की तत्कालीन अध्यक्ष नवरत्नी शुक्ला ने जून-जुलाई 2020 में “स्वच्छता सामग्री” के नाम पर ₹31.85 लाख की खरीदी के बिल बनवाए। लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि इस खरीदी का न तो कोई स्टॉक रजिस्टर है, न वितरण का रिकॉर्ड, और न ही सामान के उपयोग का कोई सबूत। शहडोल संभाग की सबसे छोटी नगर परिषद होने के बावजूद, जैतहरी ने भ्रष्टाचार में बाजी मार ली।

जांच में खुला गड़बड़ियों का पिटारा

जांच कमेटी ने जब इस मामले की परतें खोलीं, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:

बेतहाशा खर्च: शहडोल संभाग की दूसरी नगर परिषदों ने इस दौरान 8-10 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन जैतहरी ने तीन गुना ज्यादा रकम कैसे और क्यों खर्च की? इसका कोई जवाब नहीं

कानून का उल्लंघन: नगर परिषद अध्यक्ष को सिर्फ ₹1 लाख तक की खरीदी की मंजूरी का अधिकार है। इतनी बड़ी राशि के लिए शासन से अनुमति जरूरी थी, जो ली ही नहीं गई।

सामान का अता-पता नहीं:लाखों की खरीदी का कोई रिकॉर्ड नहीं। सामान गया कहां? ये सवाल हर किसी के मन में है

एक कर्मचारी पर ठीकरा: सारी खरीदी का जिम्मा एक कर्मचारी, संजीव राठौर के नाम पर दिखाया गया। क्या एक व्यक्ति इतना माल संभाल सकता है, या ये सिर्फ कागजी हेरफेर था?

टेंडर की अनदेखी: न कोई निविदा निकाली गई, न ही बाजार से कोटेशन लिए गए। खरीदी पूरी तरह मनमाने ढंग से हुई।

शासन का सख्त रुख

मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 51 के तहत इस खरीदी को गैरकानूनी माना गया है। शासन ने नवरत्नी शुक्ला को नोटिस भेजकर चेतावनी दी है कि इस घोटाले से शासन को आर्थिक नुकसान हुआ है। धारा 35-क के तहत उनसे नुकसान की वसूली, सेवा से बर्खास्तगी, या लोकायुक्त जांच तक की कार्रवाई हो सकती है। नोटिस में 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है, वरना एकतरफा कार्रवाई होगी।

जनता का गुस्सा: “ये पाप है!”

जैतहरी की गलियों से लेकर सोशल मीडिया तक लोग गुस्से में हैं। स्थानीय निवासी श्यामलाल ने कहा, “जब हम मास्क और दवाइयों के लिए परेशान थे, तब हमारे टैक्स के पैसे लूटे जा रहे थे। ये पाप है!” विपक्षी नेता और समाजसेवी इस मामले को विधानसभा तक ले जाने की तैयारी में हैं। कई संगठनों ने मांग की है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से हो। लोग पूछ रहे हैं, “कोरोना जैसे संकट में भी अगर जनता का पैसा सुरक्षित नहीं, तो फिर कब?

भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री एवं कृषि उपज मंडी के पूर्व अध्यक्ष कैलाश सिंह मरावी ने लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज कराया था लोकायुक्त की जांच में नवरत्नी विजय शुक्ला दोषी पाई गई है

“जानकारों की राय

स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि छोटे कस्बों में ऐसी गड़बड़ियां इसलिए होती हैं, क्योंकि वहां शासन की नजर कमजोर होती है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, “बड़े शहरों पर सबका ध्यान रहता है, लेकिन छोटी परिषदों में मनमानी चलती है। इस मामले में सख्त कार्रवाई जरूरी है, वरना भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।

“अब शासन के सामने चुनौती

ये घोटाला सिर्फ जैतहरी की कहानी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की खामियों को उजागर करता है। जब देश संकट में था, तब भी कुछ लोग अपनी जेब भरने में लगे थे। अब सवाल ये है कि क्या मध्यप्रदेश शासन इस मामले में सख्ती दिखाएगा? क्या नवरत्नी शुक्ला और उनके सहयोगियों को सजा मिलेगी, या ये मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? जनता की नजर भोपाल पर है, और हर कोई इंसाफ का इंतजार कर रहा है

आखिरी सवाल: क्या जनता का पैसा सिर्फ कागजी बिलों की भेंट चढ़ने के लिए है? क्या कोरोना जैसे संकट में भी लूट को छूट मिलेगी? अब देखना ये है कि शासन इस मामले में नजीर कायम करता है, या ये भी एक और “जांच चल रही है” की कहानी बनकर रह जाएगा।

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