/अनूपपुर।
मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में बीते कुछ वर्षों से जंगली हाथियों का लगातार प्रवास ग्रामीणों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बना हुआ है। छत्तीसगढ़ से आने वाले इन हाथियों ने जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों और आसपास के गांवों में भारी नुकसान पहुंचाया है। खेतों में खड़ी फसलें रौंदी जा रही हैं, घरों को तोड़ा जा रहा है और ग्रामीणों के खाद्य भंडार जैसे महुआ, धान, गेहूं आदि को नष्ट कर दिया जा रहा है। इस समस्या के समाधान की मांग को लेकर अनूपपुर विधायक बिसाहूलाल सिंह ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर खींचा है।
विधायक द्वारा प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, हाथियों का यह दल छत्तीसगढ़ के मरवाही क्षेत्र से होकर अनूपपुर के ठेही, गौरेला, पगना, कांसा कोड़ा, दुधमनिया, ओढेरा, कीरर जैसे गांवों में पहुंचा और वहां से होते हुए राजेन्द्रग्राम के रास्ते अमगंवा होकर डिण्डौरी जिले की सीमा तक गया। इसके बाद वे पुनः अमगंवा से लौटकर बुढ़ार, शहडोल, उमरिया होते हुए जैतहरी रेंज के ग्राम पडरिया और चोई तक पहुंचे। इस दौरान इन हाथियों ने कई गांवों में आतंक फैलाया और संपत्ति तथा जीवन को नुकसान पहुंचाया।
ग्राम चोई में एक दुखद घटना सामने आई जहां एक हाथी ने ग्रामीण रामपाल राठौर की जान ले ली। इससे पहले भी वचहा गांव में हाथी द्वारा एक युवक को कुचल कर मार देने की घटना हो चुकी है। इसी प्रकार पगना क्षेत्र में एक हाथी की बिजली के करंट से मृत्यु होने पर एक किसान को जेल जाना पड़ा, जिससे ग्रामीणों में डर और असुरक्षा की भावना और बढ़ गई है।
विधायक ने बताया कि हाथियों के लगातार मूवमेंट से न केवल जनजीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि प्रशासन भी इससे बेहद परेशान है। वन विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य जिम्मेदार अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। ग्रामीणों की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कई बार उन्हें अपने घर छोड़कर पेड़ों या छतों पर रात बितानी पड़ती है। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने अपने घर का सामान भी पेड़ों की डालियों पर बांधकर सुरक्षित रखने की कोशिश की है।
विधानसभा में इस विषय पर ध्यान आकृष्ट करते हुए विधायक बिसाहूलाल सिंह ने सरकार से तीन मुख्य मांगें रखीं। पहली, हाथियों के मूवमेंट को रोकने के लिए ठोस रणनीति बनाई जाए; दूसरी, जिन ग्रामीणों की संपत्ति, फसलें या परिवारजन हाथियों के कारण प्रभावित हुए हैं, उन्हें वास्तविक नुकसान के अनुरूप क्षतिपूर्ति राशि दी जाए; और तीसरी, इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सरकारों के बीच एक अंतरराज्यीय वन्यजीव प्रबंधन नीति बनाई जाए।
इस विषय की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा श्री बिसाहूलाल सिंह को एक अगस्त को सदन में यह मुद्दा प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई थी। अब जनप्रतिनिधि द्वारा विधानसभा में मुद्दा उठाए जाने के बाद ग्रामीणों को उम्मीद है कि शासन-प्रशासन इस दिशा में आवश्यक और ठोस कदम उठाएगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके और प्रभावित लोगों को राहत मिल सके।