मध्यप्रदेश में कार्यरत विद्युत कंपनियों के जूनियर इंजीनियरों ने लंबे समय से चली आ रही उपेक्षा और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के खिलाफ रविवार को एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन किया। यह ध्यानाकर्षण प्रदर्शन म.प्र. विद्युत मंडल पत्रोपाधि अभियंता संघ के आव्हान पर प्रदेश के तीन प्रमुख विद्युत मुख्यालय—इंदौर, भोपाल और जबलपुर में एक साथ आयोजित किया गया।
संघ के महासचिव इंजीनियर जी.के. वैष्णव ने बताया कि यह प्रदर्शन वर्षों से लंबित सात सूत्रीय मांगों के निराकरण के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश विद्युत कंपनियों में कार्यरत हजारों जूनियर इंजीनियर 30 से 35 वर्षों की सेवा के बावजूद एक भी पदोन्नति प्राप्त नहीं कर सके हैं, जबकि सहायक यंत्री पद पर भर्ती अभियंताओं को सेवा काल में चार पदोन्नति देकर कार्यपालक निदेशक जैसे उच्च पद तक पहुंचा दिया जाता है। यह स्थिति न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि कार्यस्थल पर असंतोष और हताशा का कारण भी बन रही है।
संघ की मांग है कि इस असमानता को समाप्त करते हुए वरिष्ठ जूनियर इंजीनियरों को कार्यपालन यंत्री के पद पर पदोन्नति दी जाए। इसके साथ ही सहायक यंत्री पद की सीधी भर्ती की प्रक्रिया को बंद कर, इस पद को 100% पदोन्नति के माध्यम से भरा जाए।
इंजी. वैष्णव ने यह भी कहा कि कनिष्ठ यंत्रियों के लिए अधीक्षण यंत्री पद तक पदोन्नति का स्पष्ट रास्ता बनाते हुए 40% कोटा आरक्षित किया जाना चाहिए। इस दिशा में पृथक पदोन्नति प्रणाली लागू की जाए जिससे योग्य और अनुभवी अभियंताओं को आगे बढ़ने का अवसर मिल सके।
एक अन्य बड़ी समस्या चतुर्थ उच्च वेतनमान को लेकर है। राज्य शासन द्वारा अपने कर्मचारियों को 35 वर्षों की सेवा पर यह वेतनमान दिया जा रहा है, लेकिन बिजली कंपनियों ने नियमों में कंडिका 11 जोड़ दी है, जिससे यह लाभ केवल उन्हीं को मिल पा रहा है जिन्होंने तृतीय उच्च वेतनमान के बाद 5 वर्ष की अतिरिक्त सेवा की हो। इससे 35 वर्ष की सेवा पूरी करने के बावजूद अधिकांश इंजीनियर इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। संघ ने इस कंडिका को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है।
संविदा के रूप में कार्यरत जूनियर इंजीनियरों को भी प्रदर्शन में विशेष चिंता का विषय बताया गया। संघ ने आरोप लगाया कि वर्षों से नियमित इंजीनियरों की तरह काम कर रहे इन संविदा कर्मचारियों को अभी तक नियमित नहीं किया गया है। ऐसे कर्मचारियों को 50 प्रतिशत आरक्षण के तहत प्राथमिकता देते हुए नियमित नियुक्ति प्रदान की जानी चाहिए।
2018 के बाद भर्ती किए गए जूनियर इंजीनियरों के लिए वेतनमान और ग्रेड पे को लेकर भी भारी असंतोष देखा गया। वर्तमान में समान कार्य के बावजूद उन्हें कम वेतन और ग्रेड पे दिया जा रहा है। संघ ने यह मांग की कि समान कार्य समान वेतन के सिद्धांत के तहत इन अभियंताओं का ग्रेड पे 4100 किया जाए।
एक और गंभीर मुद्दा एफआईआर को लेकर उठाया गया। संघ का कहना है कि बिजली कंपनियों द्वारा मेंटेनेंस का समुचित मटेरियल और तकनीकी स्टाफ उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, इसके बावजूद विद्युत दुर्घटनाओं की स्थिति में कनिष्ठ या सहायक अभियंताओं के विरुद्ध बिना जांच के धारा 304-A और संशोधित धारा 106 के तहत एफआईआर दर्ज की जा रही है। इस पर आपत्ति जताते हुए मांग की गई कि नामजद एफआईआर के स्थान पर पदनाम के आधार पर ही कार्यवाही की जाए।
इन सभी मांगों को लेकर इंजीनियरों ने इंदौर में इंजी. जी.के. वैष्णव, भोपाल में इंजी. के.के. आर्य तथा जबलपुर में इंजी. डी.के. चतुर्वेदी और इंजी. अशोक जैन के नेतृत्व में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री को संबोधित ज्ञापन का वाचन किया गया और जिलाधीश के माध्यम से उन्हें सौंपा गया।
इस व्यापक प्रदर्शन में प्रदेशभर से आए सैकड़ों इंजीनियरों ने भाग लिया। इनमें प्रमुख रूप से इंजी. अनिल व्यास (इंदौर), इंजी. एम.एम. पांडे (रीवा), इंजी. आर.के. अरजरिया (सागर), इंजी. बी.पी. सिंह (सागर), इंजी. बी.के. गुप्ता (शहडोल), इंजी. सत्येन्द्र सिंह मलिक (भोपाल), इंजी. जितेन्द्र वर्मा (जबलपुर) उपस्थित रहे। युवा अभियंताओं में भास्कर घोष, अमरसिंह सोलंकी, कमलेश टाले (इंदौर), सत्यजीत कुमार, शशि रंजन (उज्जैन), सौरभ सिंह भदौरिया (ग्वालियर), नृपेन्द्र सिंह (जबलपुर), योगेश दरवाई और रितेश झारिया (खंडवा) ने भी सभा को संबोधित किया।
प्रदर्शन के अंत में यह चेतावनी दी गई कि यदि जल्द ही इन मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई तो संघ का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री से प्रत्यक्ष भेंट कर विस्तृत चर्चा करेगा और आगामी रणनीति तय की जाएगी।



