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श्रद्धा, संस्कृति और समरसता की रथयात्रा: बिजुरी में गूंजे जय जगन्नाथ के जयकारे

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नगरवासियों ने आस्था और उल्लास से खींचा प्रभु का रथ, स्वागत में सजा पूरा नगर
राहुल मिश्रा
अनूपपुर,
बिजुरी नगर शनिवार को एक बार फिर अध्यात्म, संस्कृति और एकता के रंग में रंग गया, जब भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा की भव्य रथयात्रा नगर में निकाली गई। इस दिव्य आयोजन ने न सिर्फ धार्मिक श्रद्धा को अभिव्यक्त किया, बल्कि नगरवासियों के सामूहिक सहयोग और सामाजिक समरसता की एक अद्भुत मिसाल भी पेश की।

रथ खिंचा श्रद्धा से, और रास्ता प्रेम से सजा
शाम 4 बजे हनुमान मंदिर चौक से प्रारंभ हुई रथयात्रा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तिमय वातावरण में जय श्री जगन्नाथ के उद्घोष गूंजते रहे और रथ खींचने के लिए हर उम्र के लोग उत्साह से आगे आए। रथयात्रा स्टेशन चौक, ओवरब्रिज, स्टेट बैंक रोड, सीएमपीडीआई रोड, पिपलेश्वर महादेव तिराहा, पुराना पोस्ट ऑफिस, काली मंदिर रोड से होकर पुनः हनुमान चौक पर समाप्त हुई।

नगरवासियों ने किया भव्य स्वागत
रथयात्रा मार्ग पर सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों द्वारा तोरण द्वार, पुष्पवर्षा, मिष्ठान वितरण, शीतल जल सेवा और स्वागत मंचों के जरिए अतुलनीय स्वागत किया गया। जगह-जगह ढोल-नगाड़े, भजन-मंडलियाँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करती रहीं।

शांति, सुरक्षा और सेवा का समन्वय
नगर में उत्सव का सा माहौल रहा, परंतु सुरक्षा और अनुशासन में कोई कमी नहीं रही। स्थानीय पुलिस प्रशासन, नगर परिषद, स्वयंसेवकों और आयोजकों ने मिलकर संपूर्ण व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया। महिलाओं द्वारा मंगल गीतों की प्रस्तुति, युवाओं के भक्ति नृत्य और गायन ने वातावरण को आनंदित कर दिया।

समापन पर महाआरती, महाप्रसाद और सम्मान समारोह
रथ के पुनः हनुमान मंदिर चौक पर लौटने के साथ महाआरती का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके पश्चात महाप्रसाद का वितरण हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया।

इस अवसर को और भी विशेष बनाया हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी के मेधावी छात्रों के सम्मान समारोह ने। आयोजकों द्वारा विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र, प्रतीक चिन्ह और पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। इससे छात्रों में उत्साह और समाज में शिक्षा के प्रति सकारात्मक संदेश प्रसारित हुआ।

सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण

यह रथयात्रा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं रही, बल्कि नगर की सांस्कृतिक चेतना, जन भागीदारी और सामाजिक एकता की पराकाष्ठा बनकर उभरी। हर वर्ग, हर धर्म और हर आयु के लोगों की सहभागिता ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।

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