अनूपपुर जिला, मध्य प्रदेश का वो कोना, जहां अब बिजली की चमक के साथ-साथ ग्रामीणों की उम्मीदें भी जगमगा रही हैं। ग्राम रक्शा और कोलमी में प्रस्तावित 1320 मेगावाट की न्यू जोन प्राइवेट लिमिटेड ताप विद्युत परियोजना ने एक ऐतिहासिक मोड़ लिया है। हाल ही में हुई त्रिस्तरीय बैठक में ग्रामीण, प्रशासन और कंपनी के बीच ऐसा गजब का तालमेल देखने को मिला, जो देसी अंदाज में कहें तो “दिल से दिल तक” का रिश्ता बन गया।क्या हुआ बैठक में?ग्राम रक्शा और कोलमी की 476.788 हेक्टेयर निजी जमीन पर बनने वाली इस परियोजना को लेकर अपर कलेक्टर दिलीप पांडेय, एसडीएम कमलेश पुरी, नायब तहसीलदार चक्रवर्ती, न्यू जोन के वाइस प्रेसिडेंट सुधाकर पांडेय और सुशील कांत मिश्रा, सैकड़ों किसान, सरपंच और मीडियावाले एक मंच पर जुटे। माहौल ऐसा था, मानो गाँव का मेला हो, लेकिन बातें थीं भविष्य की, रोजगार की, और तरक्की की।अपर कलेक्टर पांडेय ने देसी ठसक में कहा, “ये परियोजना अनूपपुर को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी, लेकिन गाँव वालों का हक सबसे पहले।” उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार और प्रशासन हर किसान के साथ खड़ा है। एसडीएम कमलेश पुरी ने तो ग्रामीणों की हर बात को कान खोलकर सुना और फटाफट निपटारे का वादा किया।गाँव वालों ने रखी दिल की बातरक्शा पंचायत के सरपंच, अमोल सिंह, चक्रधर मिश्रा, प्रीतम सिंह जैसे किसानों ने खुलकर कहा, “जमीन दे रहे हैं, तो बदले में रोजगार और मुआवजा पारदर्शी तरीके से मिलना चाहिए।” कोलमी के नरेंद्र राठौर, बालेश्वर, रामस्वरूप उपाध्याय ने सुझाव दिया कि मुआवजा ग्राम सभा के जरिए बँटे, ताकि सबको भरोसा रहे।ग्रामीणों की माँगें थीं साफ:रोजगार: परियोजना शुरू होते ही गाँव के नौजवानों को नौकरी में पहली तवज्जो।मुआवजा: ₹4 लाख एकमुश्त और ₹1 लाख दो किश्तों में (₹50,000 × 2), यानी कुल ₹5 लाख हर प्रभावित परिवार को।CSR फंड: रक्शा-कोलमी के विकास के लिए प्राथमिकता से खर्च हो।नौकरी की गारंटी: 191 खातेदारों और सह-खातेदारों समेत 350 लोगों को रोजगार का पक्का वादा।कंपनी ने भी दिखाया बड़ा दिलन्यू जोन के सुशील कांत मिश्रा ने कहा, “गाँव वालों की हर माँग हमारी जिम्मेदारी है। मुआवजा जल्दी बँटेगा, बस दस्तावेज जल्दी जमा कर दो।” वहीं, सुधाकर पांडेय ने देसी अंदाज में जोश भरा, “ये सिर्फ पावर प्लांट नहीं, अनूपपुर का भविष्य है। गाँव वाले, प्रशासन और हम मिलकर इतिहास रचेंगे।” उन्होंने गर्व से कहा कि पहली बार गाँव, पंचायत और कंपनी एक साथ खड़े हैं।सौहार्द का मेला, उम्मीदों का रेलाबैठक में गाँव वालों का जोश देखते बनता था। सैकड़ों लोग जुटे, न कोई तकरार, न कोई बहस। सबके चेहरों पर एक ही बात थी – “हम विकास के साझीदार बन रहे हैं।” प्रशासन ने भी कमाल कर दिया, सबको एक मंच पर लाकर।सुधाकर पांडेय ने आखिर में सबका शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “ये परियोजना बिजली का तार नहीं, अनूपपुर की आकांक्षाओं का सूरज लेकर आएगी।”क्या है खास इस परियोजना में?1320 मेगावाट की बिजली से अनूपपुर बनेगा ऊर्जा का हब।सैकड़ों नौजवानों को रोजगार, गाँवों में खुशहाली।पारदर्शी मुआवजा और CSR से गाँवों का कायाकल्प।ग्रामीण, प्रशासन और कंपनी की तिकड़ी बनेगी राष्ट्रीय मॉडल।अनूपपुर के गाँव अब सिर्फ खेत-खलिहान की कहानी नहीं लिखेंगे, बल्कि बिजली, रोजगार और तरक्की की नई इबारत गढ़ेंगे। ये परियोजना बिजली का प्लांट नहीं, गाँव वालों के सपनों का पावरहाउस है। जैसे गाँव का पुराना बिजली का खंभा नई रौशनी देता है, वैसे ही ये परियोजना अनूपपुर को चमकाएगी।तो भइया, तैयार हो जाओ, अनूपपुर का नया सवेरा आ रहा है, और इस बार गाँव वाले खुद इसकी रौशनी बन रहे हैं!
अनूपपुर में 1320 MW ताप विद्युत परियोजना: किसानों की सहमति, रोजगार की उम्मीद, और विकास का नया सवेरा
