रक्षाबंधन 2025 को लेकर लोगों के बीच तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कोई इसे 8 अगस्त को मना रहा है तो कोई 9 अगस्त को। इस भ्रम को दूर करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी ने स्पष्ट किया है कि रक्षाबंधन का पर्व इस वर्ष 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को जीवनभर रक्षा का वचन देता है।
इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। पंडित त्रिपाठी ने बताया कि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से भद्रा शुरू होगी, जो 9 अगस्त को तड़के 1 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। 9 अगस्त को सूर्योदय सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर होगा, जो भद्रा समाप्ति के बाद का समय होगा। ऐसे में पूरे दिन राखी बांधना शुभ रहेगा। वहीं, इस दिन राहुकाल सुबह 9 बजकर 07 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस समय राखी बांधने से बचने की सलाह दी गई है, क्योंकि राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
इस वर्ष रक्षाबंधन पर कई शुभ योग बन रहे हैं। पंडित अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग और शोभन योग का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:47 से दोपहर 2:23 तक रहेगा, जबकि सौभाग्य योग और शोभन योग 10 अगस्त तड़के 2:15 बजे तक प्रभावी रहेंगे। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:22 से 5:04 तक और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:17 से 12:53 तक रहेगा। इसके अलावा अमृतकाल पूरे दिन रहेगा, जिससे राखी बांधने का समय और भी पुण्यकारी माना जा रहा है।
पंडित त्रिपाठी ने बताया कि रक्षाबंधन का पर्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन की परंपरा महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती है। जब श्रीकृष्ण को चोट लगी थी तो द्रौपदी ने अपने आंचल का टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ में बांधा था, जिसे रक्षासूत्र का रूप दिया गया। तभी से बहनों द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई। प्राचीन काल में ब्राह्मण भी अपने यजमानों को राखी बांधते थे और उनकी मंगलकामना करते थे। इसके साथ ही यह दिन वेदपाठ और शिक्षा आरंभ के लिए भी शुभ माना जाता है।
रक्षाबंधन का यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है बल्कि समाज में प्रेम, सहयोग और सद्भावना का संदेश भी देता है। इस बार का रक्षाबंधन कई दृष्टियों से विशेष है और शुभ योगों के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
