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खूंटाटोला बॉर्डर पर आरटीओ उड़न दस्ता की उगाही गैंग सक्रिय, रात में दस्तावेज होने पर भी गाड़ियों से जबरन वसूली

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नियम-कानून ताक पर रखकर ‘जैन साहब’ चला रहे अपनी हुकूमत

‘ऊपर तक पहचान है, कुछ नहीं बिगड़ेगा हमारा’—साहब की दबंगई से परेशान वाहन चालक,

अनूपपुर / जैतहरी।
मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के खूंटाटोला बॉर्डर पर आरटीओ विभाग के संभागीय उड़न दस्ते की कार्यशैली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। क्षेत्र में चल रही इनकी गतिविधियों को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। स्थानीय नागरिकों, वाहन चालकों और ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि यह टीम रात के समय बॉर्डर पर सक्रिय रहती है और गाड़ियों को रोककर जबरन वसूली करती है।

बताया जा रहा है कि दिनभर यह टीम क्षेत्र से नदारद रहती है, लेकिन जैसे ही रात होती है, बॉर्डर एक अस्थायी वसूली केंद्र में तब्दील हो जाता है। वाहन चालक बताते हैं कि गाड़ियों के पूरे दस्तावेज सही होने के बावजूद उन्हें रोककर पैसों की मांग की जाती है। पैसे नहीं देने पर न केवल गाड़ी रोक दी जाती है, बल्कि चालकों के साथ गाली-गलौज और बदसलूकी की जाती है। कई मामलों में मारपीट तक की नौबत आ चुकी है।

ट्रक और बस चालकों का आरोप है कि टीम के सदस्य वाहन की जांच के बहाने उन्हें घंटों रोकते हैं। जब वे पूछते हैं कि कागज़ पूरे होने पर भी क्यों रोका जा रहा है, तो जवाब मिलता है – “चाय पानी तो बनता है, नहीं दोगे तो ऊपर रिपोर्ट जाएगी।” जिन वाहन चालकों ने पैसे देने से मना किया, उन्हें जानबूझकर परेशान किया गया और धमकाया गया।

सूत्रों से जानकारी मिली है कि टीम के कुछ सदस्य ड्यूटी के दौरान शराब का सेवन करते हैं। बताया जाता है कि पास के ढाबों या सुनसान स्थानों पर पहले बैठकर शराब पी जाती है और फिर नशे की हालत में ही वाहनों की जांच की जाती है। कई बार यात्रियों से भरी बसों और निजी गाड़ियों को भी रोका गया है, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया एक योजनाबद्ध वसूली अभियान की तरह चल रही है। टीम के कुछ सदस्य अपने संपर्कों का हवाला देते हुए दबाव बनाते हैं और खुलेआम कहते हैं – “ऊपर तक पहचान है, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा।” इससे लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि यह ‘ऊपर तक’ कौन है, जिसके नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और खुलेआम वसूली की जा रही है।

मध्यप्रदेश सरकार ने पहले ही सभी बॉर्डर चेक पोस्ट को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया था, ताकि परिवहन और व्यापार में कोई बाधा न हो। इसके बावजूद खूंटाटोला बॉर्डर पर आरटीओ टीम की उपस्थिति और उनकी कार्यशैली सरकार के आदेशों की खुली अवहेलना मानी जा रही है।

इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्र के सामाजिक संगठनों, ट्रांसपोर्ट यूनियन और स्थानीय जनता में भारी आक्रोश है। इन सभी ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि खूंटाटोला बॉर्डर पर संचालित इस अवैध गतिविधि की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाए।

जनता का यह भी कहना है कि अगर शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे मजबूरन धरना, प्रदर्शन और जन आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। उनका कहना है कि अब यह केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि शासन और प्रशासन की साख का प्रश्न है।

क्षेत्र में यह मांग जोर पकड़ रही है कि सरकार अपने आदेशों को अमल में लाए और ऐसी अनियमितताओं पर सख्त लगाम लगाए, ताकि आम जनता का विश्वास फिर से कायम हो सके और कानून का राज बहाल किया जा सके।

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