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शहडोल जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में वित्तीय अनियमितता का गंभीर मामला**

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शहडोल जिले के शासकीय स्कूलों में अनुरक्षण कार्यों के नाम पर कथित तौर पर फर्जी देयकों के जरिए लाखों रुपये की बंदरबांट का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, शासकीय हाई स्कूल सकंदी और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपानिया में अनुरक्षण मद के तहत कार्यों के लिए भारी-भरकम राशि आहरित की गई, लेकिन दस्तावेजों और स्थानीय स्थिति से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

सकंदी स्कूल में फर्जी बिल का खेल
शासकीय हाई स्कूल सकंदी में पुताई कार्य के लिए 168 मजदूर और 65 राजमिस्त्री के साथ 4 लीटर ऑयल पेंट का उपयोग दर्शाया गया। इस कार्य के लिए एक लाख छह हजार नौ सौ चौरासी रुपये का देयक प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मरपाची द्वारा कोषालय से आहरित किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में इतनी संख्या में मजदूर और राजमिस्त्री उपलब्ध ही नहीं हैं, जिससे इस देयक की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

निपानिया स्कूल में भी यही हाल
इसी तरह, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपानिया में 275 मजदूर, 150 राजमिस्त्री, 20 लीटर ऑयल पेंट, 10 खिड़कियां और 4 दरवाजों की फिटिंग के लिए दो लाख इकतीस हजार छह सौ पचास रुपये का देयक तैयार किया गया। सुधाकर कंस्ट्रक्शन, ग्राम पंचायत ओदारी, तहसील ब्यौहारी द्वारा यह देयक 5 मई 2025 को तैयार किया गया, जबकि निपानिया के प्राचार्य ने इसे एक महीने पहले, 4 अप्रैल 2025 को ही सत्यापित कर दिया। यह समयपूर्व सत्यापन संदेह को और गहरा करता है।

ट्रेजरी ऑफिसर की भूमिका पर सवाल
नियमों के अनुसार, अनुरक्षण कार्यों के लिए देयक के साथ कार्य से पहले और बाद के फोटोग्राफ्स प्रस्तुत करना अनिवार्य है। लेकिन इन दोनों मामलों में ऐसा नहीं किया गया। इसके बावजूद, ट्रेजरी ऑफिसर ने बिना फोटोग्राफ्स के देयकों को पारित कर भुगतान कर दिया, जो वित्तीय अनियमितता का गंभीर मामला है।

**स्थानीय ने कहा
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जिन गांवों में ये स्कूल स्थित हैं, वहां इतनी बड़ी संख्या में मजदूर और राजमिस्त्री मौजूद नहीं हैं। यह सवाल उठता है कि आखिर इन देयकों में इतनी बड़ी संख्या कैसे दर्शाई गई और बिना किसी सत्यापन के भुगतान कैसे हो गया
यह मामला जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और कोषालय के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वित्तीय अनुशासनहीनता और नियमों की खुली अवहेलना का मामला है। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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