राहुल मिश्रा
अनूपपुर। अनूपपुर जिले के ग्राम रक्सा-कोलमी ने 23 जून 2025 को ऐसा दृश्य देखा, जिसने विकास की परिभाषा को ही बदल डाला। जहां अन्य स्थानों पर बड़े उद्योगों की शुरुआत सरकारी तामझाम और औपचारिकताओं से होती है, वहीं यहां विकास की नींव गांववासियों की आस्था, श्रम और सहभागिता से पड़ी।
जब शंखध्वनि और कड़ाही की खुशबू बनी विकास की गवाही
सुबह होते ही मंदिरों से उठती घंटियों और शंखध्वनि ने गांव को जगाया। अशोक मिश्रा की भूमि पर पवित्र अग्नि जली, वैदिक मंत्रोच्चार गूंजे और नारियल फूटते ही विकास का श्रीगणेश हुआ। विशेष बात यह रही कि पूजन की अगुवाई खुद उन ग्रामीणों ने की जिनकी भूमि अधिग्रहीत हुई। समर्थ गोंड, चक्रधर मिश्रा, कैलाश साहू जैसे ग्रामीणों ने पूरे मन से पूजा कर यह संदेश दिया कि यह परियोजना अब केवल कंपनी की नहीं, गांव की अपनी है।
ग्रामीणों के हाथों रखी गई निर्माण की पहली ईंट
भूमिपूजन के तुरंत बाद ग्रामीणों ने बिना आदेश, बिना इंतजार बाउंड्री वॉल निर्माण का काम प्रारंभ करवा दिया। यह दृश्य न केवल प्रेरक था बल्कि यह दिखाता है कि जब विकास में जन भागीदारी हो, तो हर बाधा छोटी हो जाती है।
भक्ति, भंडारा और भाईचारे की अद्भुत मिसाल
गांव की गलियों में ढोलक-मंजीरे की थाप पर गूंजते भजन और कीर्तन ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। भंडारे में लगभग 2000 लोगों ने कढ़ी-चावल, पूरी-सब्जी और हलवे का प्रसाद ग्रहण किया। यह आयोजन भी पूरी तरह ग्रामवासियों की स्वेच्छा से हुआ, जिसमें कंपनी प्रतिनिधियों को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।
प्रमुख हस्तियां और नेतृत्व
इस अवसर पर सुधाकर पांडे (वाइस प्रेसिडेंट, न्यू जोन इंडिया प्रा. लि.), सुशील कांत मिश्रा (जूनियर वाइस प्रेसिडेंट) समेत कंपनी के अन्य प्रबंधक और स्टाफ उपस्थित रहे। ग्राम के सम्मानित जन – चक्रधर मिश्रा, कैलाश साहू, विनय मिश्रा, देवघर मिश्रा, अर्जुन पटेल, सरपंच उमा सिंह, मेल सिंह, पूर्व सरपंच अमोल सिंह – सभी ने इस ऐतिहासिक पल को साझा किया।
न्यू जोन प्रोजेक्ट की 5 खासियतें जो मिसाल बनेंगी
ग्रामीणों द्वारा स्वेच्छा से विकास की पहल
सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का सम्मान
पारदर्शी पुनर्वास और रोजगार का भरोसा
सामूहिक भंडारे और आयोजन से सामाजिक समरसता
ग्रामीणों की साझेदारी से परियोजना का शुभारंभ
जब विकास होता है साझेदारी से…
न्यू जोन थर्मल पावर प्रोजेक्ट अब सिर्फ एक उद्योग नहीं, बल्कि ग्रामीणों की भागीदारी से गढ़ा गया सपना है। अनूपपुर अब केवल हरियाली और प्रकृति का उपहार नहीं, बल्कि औद्योगिक आत्मनिर्भरता और संस्कृति की साझी विरासत का प्रतीक बन चुका है।






