शहडोल जिला निवासी अनीश केशरवानी, जो हमेशा मानव सेवा के लिए तत्पर रहते हैं, एक बार फिर अपनी निस्वार्थ भावना का परिचय दिया। हाल ही में उन्हें बापू चौक अमलाई निवासी राज केशरवानी जी से जानकारी प्राप्त हुई कि शहडोल निवासी वीरेंद्र विश्वकर्मा जी की तबीयत अत्यधिक खराब थी और उन्हें B+ पॉजिटिव ब्लड की तुरन्त आवश्यकता थी। बिना देर किए, अनीश केशरवानी तुरंत अस्पताल पहुंचे और रक्तदान किया। उनके इस सराहनीय कार्य ने न केवल मरीज को जीवनदान दिया बल्कि उनके परिवार को भी सांत्वना प्रदान की।
यह पहला मौका नहीं है जब अनीश ने ऐसा नेक कार्य किया हो। मात्र 21 वर्ष की उम्र में, वह अब तक तीन बार रक्तदान कर चुके हैं। उनकी यह निस्वार्थ सेवा समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। अनीश हमेशा से ही अपने आसपास के नगरवासियों और जिले के लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करते रहे हैं। वह न केवल स्वयं रक्तदान करते हैं बल्कि दूसरों को भी इस पुण्य कार्य के लिए प्रेरित करते हैं।
अनीश का मानना है कि रक्तदान एक ऐसा कार्य है जो किसी की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वह अपने कार्यों से समाज में यह संदेश देना चाहते हैं कि रक्तदान महादान है और इससे बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती। अनीश के निरंतर प्रयास और समर्पण को देखते हुए, वह निस्संदेह युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन चुके हैं।
उनका यह कार्य यह साबित करता है कि अगर दिल में सेवा की भावना हो तो उम्र कोई बाधा नहीं बन सकती। अनीश केशरवानी जैसे युवाओं की सक्रिय भागीदारी से समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद और भी प्रबल हो जाती है। अनीश का कहना है कि रक्तदान करने से आपके रक्त की चिपचिपाहट कम हो जाती है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है इसलिए आप सभी रक्तदान करते रहिए।
