राहुल मिश्रा अनूपपुर जिला, जहां के घने जंगल कभी हरियाली और वन्यजीवों का गढ़ हुआ करते थे, आज वहां लकड़ी माफियाओं का तांडव चल रहा है। कोतमा वन परिक्षेत्र के टांकी बीट में सैकड़ों हरे-भरे पेड़ रातों-रात काटे जा रहे हैं। सरई जैसे कीमती पेड़ों को लकड़ी माफिया ट्रैक्टरों और वाहनों से जंगल से उखाड़कर ले जा रहे हैं। और चौंकाने वाली बात? वन विभाग खामोश तमाशबीन बना बैठा है!स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी चीख-चीखकर कह रहे हैं कि ये अवैध कटाई जंगल की जैव विविधता को तबाह कर रही है। बाघ, तेंदुआ, हिरण, भालू जैसे वन्यजीवों का घर उजड़ रहा है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों ने कई बार वन अमले को शिकायत की, लेकिन नतीजा सिफर! अब तो लोग शक करने लगे हैं कि कहीं वन विभाग के लोग ही माफियाओं से मिले हुए तो नहीं?जब से प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री अनूपपुर के प्रभारी बने, लोगों को उम्मीद थी कि कम से कम उनके अपने विभाग में तो भ्रष्टाचार और लापरवाही पर लगाम लगेगी। लेकिन अफसोस, हालात बद से बदतर हो गए। सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग अब जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि जंगल में गश्त बढ़े, सीसीटीवी कैमरे लगें और ग्रामीणों की मदद से निगरानी तंत्र मजबूत हो।अगर सरकार और वन विभाग ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो अनूपपुर के जंगल अपनी हरियाली और वन्यजीव खो देंगे। फिर न पर्यावरण बचेगा, न जैव विविधता। सवाल ये है कि प्रभारी मंत्री जी, जब आपके अपने विभाग का ये हाल है, तो जनता भला कैसे ना बेहाल हो?