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नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी का – पंडित सागर मिश्रा स्वप्न में भिखारी भी राजा बन जाता है स्वप्न टूटा फिर जहां का तहाँ

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नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी का – पंडित सागर मिश्रा स्वप्न में भिखारी भी राजा बन जाता है स्वप्न टूटा फिर जहां का तहाँअमरकंटक । वस्तुत: हम एक दूसरे से प्रेम नहीं करते प्रेम करते हैं हम तो उसके अंदर बैठे परमात्मा से प्रेम । मृत व्यक्ति जो पड़ा है उसे नहीं उसके अंदर जो परमात्मा है वह उसे शरीर से जा चुका है उससे प्रेम है हमारा ईश्वर तत्व से प्रेम होता है हमारे शास्त्र में बार-बार सत्य बोलने पर जोर दिया गया है जो व्यक्ति यह कहता है कि जो बोलता हूं वह मुंह पर बोलता हूं किसी को अच्छा लगे या बुरा यह उचित व्यवहार नहीं है जिससे किसी को ठेस पहुंचे ऐसा व्यवहार मत कीजिए ऐसा सत्य मत बोलिए जिस किसी का हृदय दुखित हो उक्त आशय उदगार के पंडित सागर मिश्रा नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस पर भक्त श्रद्धालुओं को कथा सुनाते हुए रख रहे थे । कथा व्यास पीठ से पंडित सागर मिश्रा ने आगे मद भागवत पुराण कथा में कहा कि प्रिय सत्य बोलिए अप्रिय सत्य ना बोलिए ऐसा सत्य ना बोलिए जिससे किसी का दिल दुखे इसीलिए उन्होंने एक गाने का बोल से समां बांध दिया की नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी का जो सदा ना रहा है और सदा ना रहेगा । वेदों के वचन है कि आचार्य देवो भव पितृ देवो भव मातृ देवो भव । सेवा में हेतु जुड़ा हो वह ठीक नहीं । नि: स्वार्थ भाव से माता-पिता की सेवा करना चाहिए इससे भगवान प्रसन्न होते हैं सेवा से मेवा मिलता ही है । पंडित मिश्रा ने कथा में आगे कहा कि स्वप्न सच कभी नहीं होते स्वप्न में तो आदमी बहुत कुछ देखता है यहां तक की स्वप्न में भिखारी भी राजा बन जाता है परंतु जब स्वप्न टूटता है तो वह वास्तविकता के धरातल में आ जाता है स्वप्न देखने में कोई बुराई नहीं । पंडित सागर मिश्रा ने अपने कथा के दौरान पुण्य सलिला नर्मदा नदी में स्नान के दौरान हुई पीडा़ का उल्लेख करते हुए कहा कि वह डुबकी के दौरान कंधे में दर्द हुआ दवा लिया मालिश कराया लेकिन ठीक नहीं हुआ लेकिन भागवत कथा व्यास पीठ में आते ही ईश्वर कृपा से सब ठीक हो गया भागवत भगवान सब कुछ ठीक करते हैं उन पर आशा विश्वास रखिए । जन्म जन्मांतर के कृपा होती है भगवान आपके मन में अवरुद्ध होते हैं तभी भागवत कथा की प्रेरणा होती है पंडित मिश्रा ने कहा कि लेकिन किंतु परंतु हिंदी साहित्य के बहुत ही खतरनाक शब्द हैं इससे थोड़े अच्छाई भी उसकी बुराई में तब्दील हो जाता है । उक्त विचार पंडित सागर मिश्रा जी महाराज श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस महामृत्युंजय आश्रम के विशाल सभा हाल में भक्त श्रद्धालुओं को सुन रहे थे ।उल्लेखनीय है कि श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा का आयोजन पंडित नमन पांडेय एवं धर्मपत्नी श्रीमती वर्षा पांडेय के द्वारा 18 मई 25 जेठमास कृष्ण पक्ष छठ उ.षा. नक्षत्र से रविवार 26 मई 25 जेठ मास कृष्ण पक्ष चतुरदशी भरणी नक्षत्र सोमवार तक नौ दिवसीय का आयोजन कराया जा रहा है। नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में छत्तीसगढ़ प्रांत के कवर्धा मुंगेली लोरमी बिलासपुर रायपुर आदि से सैकड़ो की संख्या में श्री पांडेय जी के परिजन शामिल होने हेतु आए हुए हैं । श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का रसपान पाड़ा तराई के पंडित सागर मिश्रा जी कथा व्यास पीठ से संगीत मय धर्म भक्ति धारा का प्रवाह हो रहा है । इसके रविवार संध्या काल एवं सोमवार प्रातः काल में मृत्युंजय आश्रम से नर्मदा मंदिर परिसर विशाल शोभा यात्रा निकाली गई भक्त श्रद्धालु गण माताएं बहने कलश लेकर डीजे एवं बैंड धुन के साथ भक्ति भाव के साथ नर्मदा मंदिर भजन गाते नाचते थिरकते हुए निकले नर्मदा मंदिर में पूजन अर्चन किया गया तत्पश्चात श्रीमद् भागवत महापुराण कथा प्रारंभ हुई ।

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