सेतु निर्माण बना जनजीवन की आफत: ठेकेदार की मनमानी, विभाग की चुप्पी और घटिया निर्माण से जनता परेशान
शहडोल।धनपुरी नगर पालिका क्षेत्र में एसईसीएल मुख्य मार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 (ईंटा भट्ठा से अनूपपुर मार्ग) पर निर्माणाधीन ओवरब्रिज, जो कि जनता की सुविधा और भविष्य की विकास संभावनाओं का प्रतीक माना जा रहा था, अब लोगों के लिए मुसीबत का कारण बनता जा रहा है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना में जिस तरह से अनियमितताएं और लापरवाही सामने आ रही हैं, उसने न सिर्फ आमजन की परेशानियां बढ़ा दी हैं, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।ठेकेदार को खुली छूट, जिम्मेदार अधिकारी बने दर्शकनिर्माण कार्य का ठेका अर्नव बिल्डकॉन नामक कंपनी को दिया गया है। लेकिन हालात यह हैं कि कंपनी नियम-कायदों को ताक पर रख कर अपने हिसाब से काम कर रही है। पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) के ‘सेतु’ उपसंभाग शहडोल के अधिकारी पूरी तरह मौन साधे हुए हैं। ना कोई निगरानी, ना कोई निरीक्षण – ठेकेदार मनमानी पर उतारू है और विभागीय अधिकारी केवल कागजों में काम पूरा होते दिखा रहे हैं।सरिया झांक रही है, रोडिंग अधूरी, जान जोखिम मेंस्थानीय नागरिकों और प्रबुद्धजनों ने निर्माण स्थल का मुआयना कर बताया कि कई पिलरों में सरिया खुली दिख रही है। अधूरी रोडिंग और खराब मटेरियल से यह स्पष्ट हो जाता है कि सेफ्टी स्टैंडर्ड्स की घोर अनदेखी की जा रही है। निर्माण की गति तो धीमी है ही, गुणवत्ता में भी भारी गिरावट साफ नजर आ रही है। मजेदार बात यह है कि कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नियमित निरीक्षण के लिए नहीं पहुंचता, जिससे यह कार्य पूरी तरह ‘राम भरोसे’ चल रहा है।ना डायवर्सन सही, ना सुरक्षा – राहगीरों की जान सांसत मेंजहां एक तरफ ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है, वहीं दूसरी ओर यातायात को डायवर्ट करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। लोग बिना किसी चेतावनी संकेत या बैरिकेड्स के बीच से जान जोखिम में डालकर गुजरने को मजबूर हैं। उड़ती धूल, गड्ढे, कीचड़ और खुले सरिये – ये नजारे अब आम हो चुके हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों को रोज़ परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। व्यापारियों का धंधा चौपट हो रहा है।मजदूरों की हालत भी बदहाल – ना हेलमेट, ना पानी, ना छांवमजदूरों की सुरक्षा को भी ताक पर रखा गया है। तपती धूप में बिना किसी हेलमेट या सुरक्षा उपकरण के मजदूर काम करने को मजबूर हैं। न बैठने की कोई व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की। यह पूरी व्यवस्था मानवीयता के खिलाफ है। ठेकेदार की मनमानी इतनी है कि मजदूरों से ‘जुगाड़ु’ अंदाज़ में काम लिया जा रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।रीवा लोनिवि संभाग से जांच की मांगस्थानीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने लोक निर्माण विभाग रीवा संभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से तत्काल जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते कार्य में गुणवत्ता नहीं लाई गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो यह ओवरब्रिज भविष्य में दुर्घटनाओं और बार-बार की मरम्मत का केंद्र बन जाएगा।जनता की सीधी मांग – पारदर्शिता, गुणवत्ता और जवाबदेहीअब जनता कोई बहाना नहीं सुनना चाहती। उनकी मांग है –निर्माण कार्य पारदर्शी तरीके से होउच्च गुणवत्ता वाले मटेरियल का उपयोग होठेकेदार की जवाबदेही तय होजिम्मेदार अधिकारियों की सक्रियता सुनिश्चित होमजदूरों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखा जाएजब तक यह सब नहीं होता, जनता का गुस्सा और अविश्वास दोनों बढ़ते ही रहेंगे।ओवरब्रिज जनता की सुविधा के लिए बनाया जा रहा है, न कि उन्हें संकट में डालने के लिए। यदि जिम्मेदारों ने अब भी आंखें मूंदी रखीं, तो यह परियोजना विकास की बजाय भ्रष्टाचार और लापरवाही की प्रतीक बनकर रह जाएगी।
