
राहुल मिश्रा
सिंहपुर में जुएं का कारोबार इन दिनों अपने चरम पर है। शहडोल जिले से मात्र 10 किलोमीटर दूर इस गांव में अवैध जुआ फड़ लगातार संचालित हो रहे हैं, जिनके पीछे राजनीतिक सरंक्षण की बात सामने आ रही है। ठीहा बदल-बदलकर यह धंधा इस कदर संगठित तरीके से चलाया जा रहा है कि स्थानीय पुलिस महज मूकदर्शक बनी हुई है।हाल ही में क्षेत्र में नए थाना प्रभारी की नियुक्ति से लोगों को उम्मीद थी कि अब इस काले कारोबार पर अंकुश लगेगा, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। जुआ, सूदखोरी और अवैध लेन-देन का खेल पहले की ही तरह जारी है।जुएं के इस रैकेट की कार्यप्रणाली इतनी मजबूत और सुनियोजित है कि बाहर से आने वाले जुआरियों को गाड़ियों में लाया जाता है और हारने के बाद उन्हें घर तक पहुंचाया भी जाता है। चौराहों पर खबरी तैनात रहते हैं, जिन्हें बाकायदा भुगतान किया जाता है। फड़ की चौकीदारी, निगरानी और जुआरियों की मेहमानदारी का इंतजाम इतने व्यवस्थित तरीके से किया गया है कि ये किसी संगठित व्यवसाय जैसा लगता है।इस अवैध खेल की सबसे बड़ी मार युवा वर्ग पर पड़ रही है। दिनभर चलने वाले इन जुएं अड्डों में लाखों रुपए की नाल और ब्याज का खेल चलता है। हारने वाले युवा सूदखोरों से दस प्रतिशत प्रतिदिन की दर से कर्ज लेते हैं। चैन, अंगूठी, बाइक, मोबाइल और यहां तक कि जमीन तक गिरवी रख दी जाती है। यहां तक कि डिजिटल भुगतान ऐप्स से भी पैसे ब्याज पर दिए जा रहे हैं। अमलाई कॉलोनी, धनपुरी, बुढ़ार, विक्रमपुर और शहडोल तक से जुआरी सिंहपुर पहुंचते हैं और सब कुछ हारकर लौटते हैं।सूत्र बताते हैं कि इस अवैध कारोबार को गांव के कुछ तथाकथित समाजसेवी और शहडोल के कुछ युवा मिलकर चला रहे हैं। पूरे सिस्टम में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी तय है और सबको उनका हिस्सा भी मिलता है।पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासन की चुप्पी इस पूरे मामले को और भी चिंताजनक बनाती है। इलाके में रोज फड़ लगते हैं, सूदखोर दिनभर वसूली करते हैं, लेकिन कार्रवाई का नाम नहीं लिया जाता। ऐसे में आम जनता अब सवाल करने लगी है कि आखिर यह धंधा कब बंद होगा, और प्रशासन कब नींद से जागेगा?